कुरुक्षेत्र में अरबों सैनिकों ने हिस्सा लिया था लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि महाभारत के युद्ध में सैनिकों के भोजन की व्यवस्था कैसे होती थी। इसी रहस्य के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

श्रीकृष्ण की 1 अक्षौहिणी नारायणी सेना मिलाकर कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी तो पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना एकत्रित कर ली थी। कुल 45 लाख लोगों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया था।

मान्यता के अनुसार उन्हीं में से एक उडुपी के राजा भी थे जो ना तो कौरवों के पक्ष में थे ना ही पांडवों के पक्ष में थी। उन्होंने श्रीकृष्ण के कहने पर भोजन का प्रबंधन संभाला।

उन्होंने इस बात की अनुमति श्री कृष्ण ने ली थी। लेकिन उन्होंने पूछा कि मैं भोजन किस हिसाब से बनवाऊं? खाना कम या ज्यादा तो नहीं होगा? उनकी इस चिंता का हल श्रीकृष्ण ने निकाल लिया था। इस दौरान ना तो भोजन कम पड़ा ना ज्यादा।

उडुपी के राजा ने युधिष्ठिर से कहा कि भगवान श्रीकृष्ण रोज उबली हुई मूंगफली खाते थे। जैसे मान लो उन्होंने 10 मूंगफली खाई तो मैं समझ जाता था कि दूसरे दिन 10000 सैनिक मारे जाएंगे। अत: दूसरे दिन में 10 हजार सैनिकों का खाना नहीं बनाता था। इस तरह श्रीकृष्ण के कारण हर द‌िन सैन‌िकों को पूरा भोजन म‌िल जाता था और अन्न का अपमान भी नहीं होता था।